संविधान से मिलती है भारत बंद कराने की ताकत
- जितेंद्र चौरसिया
- Dec 8, 2020
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भारत में नागरिकों को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने के लिए बंद का अधिकार संविधान की धारा 19 के तहत राइट टू प्रोटेस्ट मिला हुआ है। इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट 1947 भी इस अधिकार को बल देता है।
हमारे देश भारत में सरकार और सरकारी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर असंतोष जताने का तरीका *बंद* के रुप में बहुत प्रचलन में है।
भारत में पहला देशव्यापी बंद अर्थात *भारत बंद* गुजरात में अक्षरधाम मंदिर पर हमले के बाद सितंबर 2002 में बुलाया गया था। हमले में 30 से भी अधिक लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। मंदिर पर हमले के विरोध में बुलाया गया ये बंद भारत का सबसे बड़ा बंद था इसका असर इतना अधिक था कि इसमें देश की छोटी-मोटी पान दुकानों से लेकर मुंबई स्टॉक एक्सचेंज भी बंद हुआ था।
2002 के बाद साल 2010 की जुलाई में पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के विरोध में देशव्यापी बंद हुआ, ये एनडीए की अगुआई में हुआ था। देश के तमाम राज्यों में सफल बंद हुआ था। इसके बाद तो बंद का सिलसिला चल निकला।
2012 में तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी के चलते दूसरी बार एनडीए और उसकी सहयोगी पार्टियों में बंद बुलाया था। इस साल दो बार मई और सितंबर में बंद बुलाया गया था।
कांग्रेस ने भी भारत बंद के इतिहास में अपना नाम पहली बार 2018 में पेट्रोल डीजल की कीमतों की बढ़ोतरी के विरोध में दर्ज कराया था और भारत बंद का आह्वान किया था जो काफी सफल रहा था।
अर्थव्यवस्था पर क्या होता है बंद का असर!
क्यों सरकारें घुटनों पर आ जाती है!
इस बात का पता चलता है Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry- फिक्की के देशव्यापी बंद से हुए नुकसान के अनुमान से जिसके मुताबिक एक दिन के भारत बंद से लगभग 25 हजार करोड़ रुपए का सीधा नुकसान होता है। विभिन्न सेक्टरों पर बंद से होने वाला नुकसान अलग-अलग है। यदि देशभर के बैंक कर्मचारी एक दिन के बंद पर जाते हैं तो तकरीबन 25 हजार करोड़ का लॉस होता है। भारतीय रेलवे का यह नुकसान एक दिन में लगभग 25 सौ करोड़ होता है, देशभर के मजदूर एक दिवसीय हड़ताल करें तो लगभग 30 हजार करोड़ का नुकसान हो सकता है!
भारत के किसानों ने 08 दिसंबर 2020 को किसान विरोधी तीन अध्यादेशों के खिलाफ भारत बंद किया है।देश में किसानों की ताकत को देखकर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत के इतिहास में 08 दिसंबर 2020 बड़े बंद के दिन के रुप में जाना जाएगा।
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जितेन्द्र चौरसिया




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