top of page

गाँधी जी की अहिंसा, किसान आन्दोलन और “गोली मारो गैंग”

गाँधी जी के अहिंसक होने पर बड़े प्रश्न उठते आए हैं। कहा जाता है कि उनकी अहिंसा के कारण हमें आज़ादी नहीं मिली। गाँधी जी की उसी अहिंसा की ताक़त का अभी एक बढ़िया उदाहरण देखने को मिला है।

गांधी जी की अहिंसा, किसान आन्दोलन matadaan
गांधी जी की अहिंसा, किसान आन्दोलन

गाँधी जी कहते थे कि इस ताक़तवर ब्रितानी हुकूमत से हम हिंसा से कभी नहीं लड़ सकते। क्योंकि अंग्रेज़ उनसे ज्यादा ताक़तवर थे और किसी भी हिंसा को आसानी से दबा सकते थे और दबाया भी। इसलिए उनके अहिंसक आंदोलन को कभी अंग्रेज़ छू भी न सके। अतः किसी भी आन्दोलन को ख़त्म करने के लिए उस दौर से लेकर आज तक हिंसा का सहारा लिया जाता रहा है।


दिल्ली सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन से तो अब बच्चा-बच्चा परिचित है। वह इसे एक हिंसक आन्दोलन के रूप में जान रहा है जिसमें कुछ लोगों ने 26 जनवरी के दिन लाल किले पर तिरंगे का अपमान किया।


2 महीने से अधिक समय से चल रहे इस अहिंसक और शांतिपूर्ण आंदोलन को कोई हाथ भी नहीं लगा पाया था। आन्दोलनकारियों के बीच असामाजिक तत्व भेज कर आंदोलन में हिंसा फैलाने का कई बार प्रयास किया गया, ताकि हिंसक होते ही इस आंदोलन को पुलिसिया ताक़त और मीडिया के झूठ से दबाया जा सके। मगर उन किसानों ने सूझबूझ और संयम से इनके सभी इरादे नाकाम कर दिए और इसी तरह लंबे समय ये आंदोलन अहिंसक रहा।


26 जनवरी के घटनाक्रम ने पूरे देश को हिला दिया। 2 महीने चला अहिंसक आंदोलन कुछ घंटों में ही हिंसक बन गया। उन असामाजिक तत्वों के कारण पुलिस को असली किसानों को पीटने का मौका मिल गया और फिर उसका रिएक्शन भी मिल रहा है। 3 डॉट की पत्रकारिता करने वाली आज तक की चित्रा त्रिपाठी ने तो उस दिन आंदोलन की आखिरी रात की घोषणा कर दी। मगर राकेश टिकैत का एक-एक आँसू उनके मंसूबों पर आँसू फेर गया।


जब इन सब से भी बात नहीं बनी तो स्थानीय लोगों के नाम पर “गोली मारो गैंग” के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की उपस्थिति में किसानों पर पत्थरबाजी की और पुलिस हाथ बाँधकर खड़ी रही। समझ नहीं आता कि इतनी सुरक्षा के बाद भी यहाँ पत्थरबाजी कैसे हो गयी।


मीडिया ने अपनी दलाली में कोई कसर नहीं छोड़ी। अभी भी ये पूरी तरह से किसानों को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार ने सीमाओं पर इंटरनेट बंद कर दिया है। अब बातें यहाँ से वहाँ नहीं जा पा रही हैं।


भाजपा के प्रवक्ता लगातार आग लगाने का काम कर रहे हैं। सरकार डरी हुई है। और डर ही सत्ता को तानाशाह बनाता है। ये तानाशाह लोग लोकतंत्र को और कितना गिराएंगे यह देखना अभी बाकी है।


बाकी मीडिया लोगों को बरगलाने में अब तक सफ़ल रही। आम व्यक्ति जो टीवी देखता है वह किसानों के विरुद्ध खड़ा हो चुका है। मगर रीढ़ वाले लोग जो अन्न खाते हैं, किसानों के साथ हमेशा थे और रहेंगे।


- शिवम् शुक्ला

 
 
 

Comments


bottom of page