पहली दलित महिला मुख्यमंत्री मायावती
- रिशा वर्मा
- May 16, 2021
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कांशीराम जी ने बहुजन समाजवादी पार्टी की स्थापना सन 1984 में की, और इस पार्टी के सदस्य के रूप में मायावती को शामिल किया. यहीं से मायावती की भारतीय राजनीति में औपचारिक रूप से शुरुआत हो गई| पहली बार संसद की सदस्य के रूप सन 1989 में मायावती को चुना गया, और लोकसभा में बिजनौर निर्वाचन क्षेत्र के लिए प्रतिनिधि बन गई. सन 1994 में मायावती पहली बार राज्य सभा या संसद के उच्च सदन की सदस्य बनीं.
राज्यसभा की सदस्य बनने के बाद सन 1995 जून में मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया, और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला. मायावती पहली ऐसी दलित महिला थी, जो कि किसी राज्य की मुख्यमंत्री बनी और इस तरह से उन्होंने इतिहास रच दिया. वेसे तो वे इस पद पर बहुत कम समय के लिए ही रहीं| इसके बाद सन 1996 से 1998 तक मायावती ने उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में विधायक के रूप में कार्य किया. मायावती को सन 1997 में दूसरी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. पर इस बार भी वे कुछ महीनों के लिए ही इस पद पर रहीं. फिर मायावती ने अपनी बहुजन समाजवादी पार्टी का बीजेपी के साथ गठबंधन सन 2002 में किया. फिर वे तीसरी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी. और 2003 में बीजेपी ने जब बीएसपी के साथ अपने समर्थन को वापस ले लिया तो उनके चलते फिर एक बार मायावती को अपना मुख्यमंत्री पद का त्याग करना पड़ा.
जब बहुजन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष कांशीराम जी का देहांत हो गया तब उसके बाद मायावती को इस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया. इसके बाद 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने ने जीत हासिल की और चौथी बार मुख्यमंत्री पद के रूप में शपथ ग्रहण की. और इसी बार उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल को पूरा किया. उस दौरान वे संसद में राज्यसभा सदस्य के रूप में भी सेवा कर रही थीं.
मायावती से जुड़े कई विवाद भी हुए
मायावती जी अपने अब तक राजनीतिक करियर में काफी सारे विवादों में घिरी हुई पाई गई है.
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने ताज हेरिटेज कॉरिडोर से संबंधित प्रोजेक्ट 2002 में, वित्तीय अनियमितताओं के शक के आधार पर कुछ अन्य लोगों के साथ मायावती के घर पर छापा मारा था. फिर तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने जून 2007 में घोषणा की, कि मायावती के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था. जिसके चलते सुप्रीमकोर्ट ने भी इस मामले में सी,बी,आई की याचिका ख़ारिज कर दीगई है और मायावती के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश देने के लिए भी असहमति जताई गई.
आय के औपचारिक स्त्रोतों के साथ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप के मामले को सीबीआई ने मायावती के खिलाफ दर्ज किया. इस पर मायावती का कहना था, कि यह उनके समर्थकों का प्यार है, नाकि उनकी आय का हिस्सा है,जो उन्हें गिफ्ट्स देते रहते है. फिर 2011 को केंद्र सरकार ने मायावती के खिलाफ किये अपील को ख़ारिज कर दिया, और इसके बाद 2012 में इस मामले को रद्द कर दिया गया.
मार्च 2019 में भारत की सुप्रीम कोर्ट ने मायावती से हाथी की मूर्ति और साथ ही खुद की मूर्ति पर खर्च होने वाले पैसे का स्पष्टीकरण भी मांगा था.
मायावती जी की अब तक कई मामलों में आलोचनाएँ भी की जा चुकी हैं. जैसे एक बार मायावती ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान बौद्ध, हिन्दू धर्म एवं दलितों की कई प्रतिमाएं स्थापित कराई, जिसमें वे खुद भी शामिल थी. करदाताओं का पैसा बर्बाद करने के लिए उनकी काफी आलोचना हुई. इसके अलावा वर्ल्ड बैंक फण्ड की अव्यवस्था के लिए भी वे आलोचनाओं का शिकार हुई. एक बार उन्हें विकीलीक्स के आरोप का भी सामना करना पड़ा था.




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