क्रांति भारत में ना कभी हुई है और ना ही कभी आगे होगी!
- Jitendra Chaurasia
- Jan 26, 2021
- 2 min read
Updated: Jan 29, 2021

मुझे लगता है क्रांति भारत में ना कभी हुई है और ना ही कभी आगे होगी! यहां पूर्व में भी सिर्फ संघर्ष ही हुए हैं आज भी संघर्ष चल रहा है आगे की लड़ाइयां सिर्फ संघर्ष तक ही सीमित रह जाएगी।
मेरा ऐसा कहने के पीछे का कारण देश की भीड़ में लड़ने की क्षमता के आभाव है। दूसरे शब्दों में कहें तो यहां लोग सिर्फ "वोट" देने के लिए पाले जा रहे हैं। लम्बे षड्यंत्र से उन्हें असक्षम बनाया जा रहा है। यह असक्षमता शारीरिक, मानसिक और वैचारिक तीनों स्तर पर राजनीति में बैठे लोगो द्वारा सुनियोजित तरीके से आजादी के दिन से अब तक परोसी जा रही है।
जिस प्रकार से सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों को खत्म किया जा रहा है जिसमें कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार ,बाजरा आदि पोषण से भरपूर फसलें लगभग विलुप्त की ओर है सिर्फ गेहूं और चावल तक आज की पूरी भीड़ सीमित हो गई है। ज्यादातर बीमारियों का कारण भी गेहूं से बने उत्पाद ही है। एक गेहूं की फसल ने हमारे ज्यादातर अनाज को संकट में डाल दिया इसके लिए सिर्फ सरकार और उसकी गलत नीतियां जिम्मेदार है।
अच्छा खाद्य पदार्थ नहीं मिलने से देश की जनता शारीरिक रुप से कमजोर होती जा रही है। आसानी से समझा जा सकता है कि हमसे पहले की पीढ़ी औसत 80 साल निरोगी जीवन जीती थी और 100 किलो के बोरे उठाती थी आज 25 साल में मधुमेह, ब्लड प्रेसर और 25 किलो उठाना भी बहुत मुश्किल होता है।
ऐ बात सुनियोजित तरीके से लोगों को शारीरिक रुप से कमजोर करने की जिससे लोग विरोध ना कर सकें , लड़ाइयां ना लड़ सकें।
आगे मानसिक रूप से कमजोर करने की जिसका कारण खराब शिक्षा व्यवस्था , नशे का खुलेआम परोसा जाना, नैतिक शिक्षा जैसे मुद्दों को पठ्यक्रम से ही खत्म करना है।
जब शारीरिक, और मानसिक रुप से लोग कमजोर होंगे तो निश्चित ही आर्थिक रूप से कमजोर हो जाएंगे। फिर विरोध, लड़ाई, क्रांति आदि संभव नहीं हो पाएगी और भारत का आदमी सिर्फ "वोट" बनकर रह जाएगा। हजार जुल्म सहकर लाइन में खड़ा रहेगा जैसे हमने राशनकार्ड आधार कार्ड, नोटबंदी, और कोरोनावायरस के लाकडाउन के वक्त देखा है।




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