निजता की चिंता और डेटा बाजार
- Jan 13, 2021
- 3 min read
Updated: Jan 29, 2021
अब आये हो मेरी दहलीज, मेरे मर जाने के बाद?
मेरी फ़िक्र हुई तुमको मेरा सब लूट जाने के बाद?

ये किसी इश्क़ में हारे आशिक का शेर नहीं बल्कि ये स्मार्टफोन यूजर्स का हश्र है। बात करें वर्ष 1998-99 के दौरान जब हमें फ्री में ईमेल, 2008 के दौरान फ्री मे फेसबुक से जुड़ने का मौका मिला और हमनें उसे स्वीकार किया था, आपका डेटा तभी लूट गया था। इक्कीसवीं सदी में निजता की चिंता करना वैसा ही जैसा नाज़ी जर्मनी मे यहूदि होकर इंसाफ की उम्मीद करना।
आपका स्मार्टफोन दरसल आपका है ही नहीं! हर घडी साथ रहने वाला ये डिवाइस अब औसतन हर दूसरे साल बदलकर नया खरीद लेते हो। और फिर नया फोन खुद ही आपको पिछले फोन का सारा डेटा नये फोन मे कॉपी करने के लिए प्रेरित करता है। ये फोन आपके और बाजार के बीच का एक प्लग है। आप निजी से निजी जगह जैसे बाथरूम मे भी बैठे कर अमेजन से कुछ भी खरीद लेते हो! सोचो ये कैसे संभव हुआ? आपके फोन यूज करने से सबसे अधिक फायदा किसको हुआ? अगर गूगल, फेसबुक, अमेजन जैसी कंपनियां हर व्यक्ति को मुफ्त मे स्मार्टफोन देने लगें तो भी अरबों का मुनाफा कमा लेंगी। लेकिन ऐसा करने से वो आपकी निजता का हनन नहीं कर पाएंगी। और फोन से आपका जो रोमांस है वो भी नहीं बचेगा, इसलिए आप इन कंपनियों के गुलाम नहीं होंगे।
दर असल, इस सदी में कोई चीज खरीदी ही नहीं जाती, सब कुछ किराये पर लिया या दिया जा रहा है। फोन, लैपटॉप, गाड़ी ये सब कहने को तो आप खरीद रहे हैं लेकिन हकीकत में आप इसे यूज कर के वापिस बाजार मे बेच देते हैं। यानी की कुछ दिन वापरा और बेच दिया, जैसा किरायदार करता है।
जरा सोचिये, ये यंत्र इतने निजी तरीके से आपकी निजी से निजी जानकारी का प्रबंधन मुफ्त मे क्यों करते हैं? इस सदी मे जीने का एक नुस्खा तो गांठ बांध लीजिये। यदि कोई आपकी मदद मुफ्त मे कर रहा हो तो समझिये की वो आपका सौदा कर रहा है। जैसे बकरी, मुर्गे को मुफ्त मे चारा दिया जाता है, देखभाल की जाती है क्योंकि एक दिन उस मुर्गे या बकरी का सौदा करना है। ठीक उसी तरह से डेटा कंपनी आपकी देखभाल करतीं हैं। जानवर और इंसान के व्यापार मे बस एक फर्क है। जानवर को सुरक्षा चाहिए, इंसान को मनोरंजन। जानवर सुकून से जीने की ललक मे कसाई की निगरानी मे पलता है और इंसान मनोरंजन पाने की हसरत लिए डेटा कंपनियों के यहाँ गिरवी हो जाता है। गूगल हो या नेटफ्लिक्स आपको मनोरंजन के बदले आपकी हर वो निजी जानकारी सहेज रहा है जो आप अपने जीवन साथी से भी साझा नहीं करना चाहते हैं।
निजता के बहस मे चैटिंग एप्स को ही कठघर मे घेरा जाता है। सारे टीवी चैनल, अखबार और न्यूज़ एपस् केवल व्हाट्स एप्प को ही उंगली दिखा रहें हैं। इस बहस मे पेयमेंट एप कितने निर्दोष जान पड़ते हैं। लेकिन सोचिये, पिज़्ज़ा खाने से लेकर दवा खाने तक, पेट्रोल भराने से लेकर जहाज की टिकट खरीदने तक। किस बैंक से किस जगह, किस समय, किसके साथ क्या क्या खरीद रहे हो, इसकी जानकारी चैट एप्प से ज्यादा पैमेंट एप्प को होती है। चैट्स डिलीट हो सकती हैं, पैमेंट लेन देन का रिकॉर्ड इतनी जगह दर्ज होता है की मिटाया ही नहीं जा सकता। पेयमेंट एप्प को आपकी बीमारी, आपका शौक, आपका चाल चलन सब कुछ पता होता है।
बाजार कलाबाज होता है, अपने एक व्यापारी को आपके सामने सूली पर लटका देगा और दूसरे एक हजार व्यापारियों को बचाकर ले जायेगा। आपको इंसाफ की स्खलन हो जायेगा और गुलामी की जंजीर मे बंधे खुद को सुरक्षित महसूस करते हुए परोसे जा रहे मनोरंजन का आनंद लेने मे जुट जाओगे।




Comments