नदियों में आई लाशों की बाढ़
- आरती निषाद
- May 16, 2021
- 3 min read

कोरोना वैश्विक महामारी का प्रकोप दिनो -दिन बढ़ते ही जा रहा है और इससे मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है |स्थिति बहुत ही निंदनीय और भयावह होती जा रही है| मौत के आंकड़े बढ़ने से लोगों को काफी सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है जैसे शमशानो में लाशों को जलाने के लिए जगह नहीं मिल रही है |लाशों की कई जगह लंबी कतारें बनी हुई है ढेर लगे हैं तथा उनके अंतिम क्रिया हेतु लकड़ियां नहीं मिल रहे हैं और लकड़ियों और स्थान के अभाव से परेशान होकर लोगों ने मजबूरन नदियों में लाशें प्रवाहित करने का रास्ता अपनाया है |क्या यह कदम मानवता को शर्मसार करने वाला नहीं है लोगों द्वारा ऐसा किए जाने से बेजुबान जलीय जंतु को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाने का खतरा हो सकता है और नदियां तो प्रदूषित हो ही रही हैं साथ ही संक्रमण और ज्यादा तेजी से फैलने की आशंका भी है |
यूपी और बिहार में क्या है कोरोना के दूसरी लहर की हालात
बिहार में कोरोना काफी तेजी से बढ़ रहा है| दूसरी लहर के दौरान 40 से 50 दिन में 300000 से अधिक नए कोरोना मरीजों की पहचान हुई है| पिछले बीते दिनों में राज्य में कुल 13466 नए मामले सामने आए जिनमें से 110 लोगों की मौत हो गई है| राजधानी पटना में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं| बिहार के बक्सर जिले में गंगा नदी में 40 लाख से तैरती देखी गई हैं |
गाजीपुर इलाके में भी 46 लावारिस लाशें निकाली गई है |यमुना नदी का भी कुछ ऐसा ही भयानक हाल है और बिहार सरकार का कहना है यह सभी लाशें यूपी से प्रवाहित की जा रही हैं और यूपी में जिन स्थानों में शव देखे गए हैं वहां की प्रशासन का कहना है यह लाशे किसी और जिले से तैर कर आई हैं यूपी के हमीरपुर से यमुना में लाशें देखी गई हैं |नदियों का यह बुरा हाल देखकर इसे भारत की बदनसीबी ही कहीं जाए तो सही होगा|
कहां गए गंगापुत्र ??
नदियों के प्रदूषित होने की बात है तो कहां गए गंगापुत्र जिन्होंने दावा किया था कि "मैं गंगा पुत्र हूं !मुझे मां गंगा ने बुलाया है !आखिर कहां है हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जब गंगा नदी में दर्जनों लाशें तैर रही हैं और गंगा किए दुर्गत है |लोग मजबूर हैं अपने घर वालों को नदियों में प्रवाहित करने में और सरकार अपनी झूठी शान में है सरकार को तो अपनी अपनी लाज बचानी है| क्या बड़े-बड़े वादे और दावे झूठी हिंदुत्व होने के दिखावे सिर्फ सत्ता हासिल करने के लिए थी |सरकार यह कहने में जरा भी नहीं हिचक रही है कि कोरोनावायरस पर नियंत्रण कर लिया गया है भले ही यहां दर्जनों लाशें गंगा में तैर रहे हो और सरकार आम जनता को बेवकूफ बना रही है |
अभी भी यूपी और बिहार में अंतिम क्रिया करने के लिए लाशों की लंबी कतार लगी हुई है और जगह की कमी है यदि जगह है तो लकड़ियां नहीं मिलती जिन लोगों के पास पैसों की कमी है वह लोग लाश नदियों में बहा दे रहे हैं| बिहार के गंगा नदी के चौसा घाट में लाशों का ढेर लगा है ऐसा सिर्फ इस घाट का ही नहीं कई जगह नदियों के किनारे लाशों के ढेर लगी है और इसकी जानकारी प्रशासन को मिलने के बाद भी प्रशासन कुछ खास कदम नहीं ले रही है चौसा घाट की खबर मिलने के बाद प्रशासन के अधिकारी ने साफ सफाई हेतु प्रतिदिन ₹500 देने को कहा है जो कि कोई खास कदम नहीं है |
गंगा मां का बेटा होने का दावा करने वाले मोदी सरकार पर यह बहुत बड़ा प्रश्न है कि आखिर क्यों नहीं लेते कोई ठोस कदम "गंगा मां जब सीख रही है-" मेरे सीने पर यह मानव शव क्यों"|
आखिर इस महामारी का अंत कब होगा?? पहली लहर के बाद अब दूसरी लहर ने भी लोगों को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से बुरी तरह तोड़ दिया है |साथ ही अब इस महामारी के तीसरे लहर के आने का भी डर सताया जा रहा है|




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