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स्मृति ईरानी कैबिनेट की सबसे कम उम्र की सदस्य

Updated: Sep 17, 2020


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2010 में स्मृति पार्टी की राष्ट्रीय सचिव एवं महिला विंग की अध्यक्ष बनाई गई|

स्मृति जुबिन ईरानी का राजनीतिक जीवन वर्ष 2003 में तब शुरू हुआ जब उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण की और दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ा |

वह पार्टी की राष्ट्रीय सचिव बनी। उनके संकल्प और नेतृत्व के गुणों को देखते हुए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंत्री परिषद मैं मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में नेतृत्व किया गया था| वह कैबिनेट की सबसे कम उम्र की सदस्य है|

5 जुलाई की हुई मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल 26 मई 2014 में स्मृति ईरानी को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया। स्मृति ईरानी को अगस्त में आपदा प्रबंधन पर संसदीय मंत्र के सदस्य और शहरी विकास मंत्रालय के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। सितंबर 2011 से मई 2014 तक वह कोयला और इस्पात समिति की सदस्य थी।

कपिल सिब्बल से हारी चुनाव

साल 2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में भी चुनाव लड़ा और वह हार गई| उन्हें कांग्रेश प्रत्याशी कपिल सिब्बल ने हराया। हालांकि उन्हें इसी साल महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया। 2010 में उन्हें बीजेपी ने महिला मोर्चा की कमान सौंपी| वर्ष 2011 में वे गुजरात से राज्यसभा की सांसद चुनी गई इसी वर्ष इनको हिमालय प्रदेश में महिला मोर्चा की भी कमान सौंप दी गई|

लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गांधी को हराया

एच.आर.डी मिनिस्ट्री पद से हटा देने के बाद स्मृति ईरानी को कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। इसके बाद उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय का प्रभार भी सौंपा गया। लोकसभा चुनाव 2019 में फिर से उन्हें राहुल गांधी के खिलाफ उतारा गया इस बार उन्होंने कांग्रेस के अध्यक्ष को हरा दिया जिसके बाद उन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई|

2014 का लोकसभा चुनाव हारी

2014 में स्मृति ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास के खिलाफ अमेठी संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें कड़ी चुनौती दी, लेकिन वे यह भी चुनाव हार गई| हालांकि हारने के बावजूद उन्हें मोदी सरकार में बड़ा पद दिया गया।

2016 में स्मृति ईरानी से मानव संसाधन मंत्रालय छीन कर प्रकाश जावेडकर को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी| वे मानव संसाधन मंत्री बनी जिस समय एच.आर.डी मंत्रालय संभाल रही थी, उस दौरान लगातार वे विवादों के चलते चर्चा में रही जिसके चलते सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी| इन विवादों में हैदराबाद के रोहित वेमुला का मुद्दा और उनकी डिग्री को लेकर हुए विवाद में उन्हें बैकफुट पर ला दिया था|

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