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विधानसभा: आम नागरिक के सवाल ( पंद्रहवी कड़ी )

Updated: May 30

प्रस्तुत करते हैं एक सीरीज जिसमें मध्य प्रदेश विधान सभा के विभिन्न सत्रों में हुई चर्चाओं, प्रश्नों एवं उनके उत्तरों का आम नागरिक के सरोकार स्पष्ट होता है।


ये सवाल मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष द्वारा उठाए गए हैं। इस प्रश्नोत्तरी को आम नागरिक के लिए जानना जरूरी हैं। क्यों जरूरी हैं? क्योंकि ये सवाल हमारे द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों से पूछे गए हैं। सीधे शब्दों में कहें तो ये सवाल हमारे ही हैं! हमें यह जानना चाहिए कि जिन नेताओं को हमने चुना, क्या वे हमारी उम्मीदों पर खरे उतरे हैं या नहीं? आइए, मिलकर इन सवालों के जवाब तलाशें।


इस सीरीज कि पंद्रहवी कड़ी में श्री हेमंत सत्यदेव कटारे जी जो भिंड जिले की अटेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और मध्य प्रदेश सरकार के विपक्ष के उपनेता भी हैं, उनके द्वारा किए गए प्रश्नों को जानने का प्रयास करते हैं - नेता प्रतिपक्ष का प्रश्न  (क्र. 1963)  क्या राज्य मंत्री, वन महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 25.5.1962 के राजपत्र में रायसेन जिले के किस वनग्राम के हस्तानान्तरण की अधिसूचना प्रकाशित की गई? उसमें से किस ग्राम की कुल कितनी भूमि राजस्व विभाग को किस दिनांक को हस्तानांतरित की गई? अधिसूचित किस ग्राम को प्रश्नांकित दिनांक तक भी किन कारणों से हस्तानांतरित नहीं किया? (ख) दिनांक 25.5.1962 को हस्तानांतरण के लिये अधिसूचित वनग्रामों की कितनी भूमि को राजपत्र में आ.व.अ. 1927 की धारा 20 एवं धारा 29 के अनुसार किस-किस दिनांक को अधिसूचित किया, किस वनग्राम में कितनी भूमि के पट्टे वन विभाग ने किस वनग्राम नियम के अनुसार बांटे? (ग) रायसेन वन मण्डल दिनांक 25.5.1962 को अधिसूचित ग्राम गीदगढ़ को किस आधार पर वर्तमान में वनग्राम तथा ग्राम गीदगढ़ की भूमि को आरक्षित वन या संरक्षित वन भूमि प्रतिवेदित कर रहा है? (घ) ग्राम गीदगढ़ की किस खसरा नंबर के कितने रकबे पर किस किसान के काबिज होने की जानकारी वनमण्डल ने किस दिनांक को प्रेषित की है? प्रेषित पत्र की छायाप्रति सहित जानकारी दी जाय।

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इन प्रशन्नो पर उन्हे प्राप्त उत्तर इस प्रकार है: राज्य मंत्री, वन (श्री दिलीप अहिरवार): (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-एक अनुसार है। (ख) मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग की प्रकाशित अधिसूचना दिनांक 25.05.1962 में वर्णित ग्रामों को भारतीय वन अधिनियम, 1927 के प्रावधानों के तहत अधिसूचित नहीं किया गया है। अपितु नवाब भोपाल के ऐलान नं 3 दिनांक 12.01.1916 से जंगल मेहफूज खास को पूर्व से ही आरक्षित वन माना गया है, जिसे भारतीय वन अधिनियम, 1927 की संशोधित धारा 20 'अ' (संशोधन दिनांक 20.03.1965) के तहत मान्य किया गया है तथा शेष अवर्गीकृत वनभूमि है। राजस्व विभाग को हस्तांतरित वनग्रामों के समस्त अभिलेख राजस्व विभाग को सौंपे जाने के कारण पट्टों से संबंधित जानकारी उपलब्ध नहीं है। (ग) मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग की प्रकाशित अधिसूचना दिनांक 25.05.1962 में अंकित वनग्राम गीदगढ़ को दिनांक 31.08.1976 को राजस्व विभाग को हस्तांतरित ग्राम है। तत्समय उक्त भूमि का भारतीय वन अधिनियम, 1927 की सुसंगत धाराओं में डिनोटिफिकेशन नहीं होने से वैधानिक स्वरूप 'वन' है। वर्तमान में प्रचलित कार्य-आयोजना अनुसार उक्त भूमि अवर्गीकृत वन के रूप में प्रतिवेदित है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट-दो अनुसार है।


जाहीर है कि सवाल एवं उसके जवाब पेंचीदा हैं। इनको आसान भाषा में समझना आवश्यक है।


सवाल : - श्री हेमंत सत्यदेव कटारे ने वन मंत्री से पूछा है कि 25 मई 1962 के राजपत्र में रायसेन ज़िले के किस वनग्राम को राजस्व विभाग को सौंपने की सूचना दी गई थी, उस गांव की कितनी ज़मीन कब दी गई और कुछ गांव अब तक क्यों नहीं सौंपे गए। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि उन गांवों की ज़मीन को वन अधिनियम की किन धाराओं के तहत कब अधिसूचित किया गया और कितनी ज़मीन किस नियम के तहत पट्टे पर दी गई। खास तौर पर ग्राम गीदगढ़ को लेकर सवाल है कि उसे आज भी वनग्राम क्यों माना जा रहा है और उसकी ज़मीन को आरक्षित या संरक्षित क्यों बताया जा रहा है। साथ ही गीदगढ़ में किस किसान के पास कितनी ज़मीन है, इसकी जानकारी कब भेजी गई और उस पत्र की प्रति भी मांगी गई है।


जवाब :- राज्य मंत्री श्री दिलीप अहिरवार ने बताया कि मांगी गई जानकारी परिशिष्टों में उपलब्ध है। 25 मई 1962 की अधिसूचना में जिन गांवों का उल्लेख है, उन्हें भारतीय वन अधिनियम के तहत अधिसूचित नहीं किया गया, क्योंकि वे पहले से ही नवाब भोपाल के 1916 के आदेश से आरक्षित वन माने गए थे। बाद में इन्हें 1965 में संशोधित धारा 20 ‘अ’ के तहत मान्यता दी गई। बाकी भूमि अवर्गीकृत वन है और पट्टों की जानकारी राजस्व विभाग को रिकॉर्ड सौंपे जाने के कारण उपलब्ध नहीं है।

गीदगढ़ गांव 31 अगस्त 1976 को राजस्व विभाग को सौंपा गया, लेकिन कानूनी तौर पर उसे 'वन' से मुक्त नहीं किया गया था, इसलिए अब भी वह वन भूमि मानी जाती है और अवर्गीकृत वन के रूप में दर्ज है। जमीन पर कब्जे की जानकारी परिशिष्ट-दो में दी गई है।



मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष ने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए—सवाल जो आम जनता की समस्याओं और उनकी उम्मीदों से जुड़े हैं। लेकिन क्या इन सवालों के जो जवाब मिले, वे आपको संतुष्ट करते हैं? हमें अपने जवाब editor@matdaan.com में प्रेषित करें।


लेखक - राहुल दुबे


संबंधित जानकारी हेतु - मध्य प्रदेश विधानसभा ,प्रश्नोत्तरी – सूची ,मार्च 2025 सत्र, सोमवार दिनांक 17 मार्च 2025 , तार्किक प्रश्न उत्तर ।   

वेबसाईट- https://mpvidhansabha.nic.in/

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