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क्यूँ है इंदिरा गांधी दुनिया की सबसे ताकतवर महिला नेता?


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यूँ तो ब्रिटेन की पहली महिला प्रधान मंत्री मार्गेट थेचर को दुनिया बहादुर महिला के रूप में जानती है। लेकिन भारत द्वारा छेड़े गए और जीते गए एक मात्र युद्ध जिसने एशिया के नक्से को हमेशा के लिए बदल दिया, उस युद्ध की नेत्री इंदिरा गांधी को कई कारणों से विश्व नेता माना जाता है।

इंदिरा का राजनीति में कदम

श्रीमती गांधी अगस्त 1964 में राज्यसभा की सदस्य भी बनीं, वह सितंबर 1967 से मार्च 1977 तक परमाणु ऊर्जा मंत्री रहीं। उन्होंने 5 सितंबर, 1967 से 14 फरवरी, 1969 तक विदेश मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला। श्रीमती गांधी जून 1970 से नवंबर 1973 तक गृह मंत्रालय की अध्यक्षता भी संभाली| जून 1972 से मार्च 1977 तक अंतरिम प्रधान मंत्री रहीं। वह जनवरी 1980 में रायबरेली (उप्र) और मेडक (आंध्र प्रदेश) से सातवीं लोकसभा के लिए चुनी गईं। उन्हें 1967-77 में और फिर जनवरी 1980 में कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया । जनवरी 1980 से वह योजना आयोग की अध्यक्ष रही थी।

इंदिरा गाँधी के अभूतपूर्व फ़ैसले जिसकी वजह से इन्हें आईरॉन लेडी का ख़िताब मिला

बांग्लादेश का जन्म भीषण हिंसा और त्रासदी के दौर में हुआ। जब पश्चिमी पाकिस्तान, पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) पर क़हर बरपा रहा था। दुनियाभर के नेता इंदिरा गाँधी को शांति बनाए रखने का अनुरोध कर रहे थे, लेकिन इंदिरा ने युद्ध के आदेश दिए और युद्ध जीत लिया गया। बांग्लादेश तमाम तकलीफ़ों के बावजूद एक विकासशील देश है।

इंदिरा ने सभी बैंक और इन्शुरन्स कम्पनियों को धांधली और एक-छत्र-राज्य स्थापित करने के जुर्म में शशन के अधीन कर दिया और निजीकरण के दंश से भारत की अर्थव्यवस्था को बचाया। ग़रीबी हटाओ जैसे नारों, हरित क्रांति, खेती उपज आदि में भी इंदिरा की कई महत्वपूर्ण योगदान हैं।

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में पहचान रखने वाली इंदिरा गांधी 19 नवंबर 1917 – 31 अक्टूबर 1984 एक भारतीय राजनेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मुखिया रहीं। वह पहली और आज तक भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थीं। इंदिरा गांधी भारत की पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं। उन्होंने जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक और फिर जनवरी 1980 से अक्टूबर 1984 में उनकी हत्या तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, जिससे वह अपने पिता के बाद दूसरे सबसे लंबे समय तक सेवारत भारतीय प्रधानमंत्री बनी|


कांग्रेस प्रेसिडेंट के रूप में इंदिरा

इंदिरा को 1959 में नेशनल कांग्रेस पार्टी का प्रेसिडेंट चुना गया था. और इंदिरा जवाहरलाल नेहरू की प्रमुख एडवाइजर टीम में भी शामिल थी। जवाहर लाल नेहरु की मृत्यु 27 मई 1964 को हुई उसके बाद इंदिरा गांधी ने चुनाव लड़ने का निश्चय किया वो जीत भी गयी और उन्हें लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग मंत्रालय दिया गया। जब वह सूचना और प्रसारण मंत्री (1964-1966) रही थीं। लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद में देहांत के बाद 11 जनवरी 1966 को अंतरिम चुनावों में उन्होंने बहुमत से विजय हासिल की,और प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला।


प्रधान मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल

भारत के चौदह सबसे बड़े बैंकों के 1969 राष्ट्रीयकरण के प्रस्तावों को पास कराया था।

देश में खाद्य सामग्री को दूर करने में रचनात्मक कदम उठाए।

देश को परमाणु युग में 1974 में भारत के पहले भूमिगत विस्फोट के साथ नेतृत्व किया।

1980 के चुनावों में, कांग्रेस एक विशाल बहुमत के साथ सत्ता में लौट आई और 14 जनवरी, 1980 से फिर से इंदिरा गांधी दूसरी बार प्रधानमंत्री बन गई|


इंदिरा गांधी को मिला पुरस्कार

इंदिरा गांधी को 1971 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 1972 में उन्हें बांग्लादेश को आज़ाद करवाने के लिए मेक्सिकन अवार्ड से नवाजा गया। फिर 1973 में सेकंड एनुअल मेडल एफएओ (2nd Annual Medal, FAO)। 1976 में नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा हिंदी में साहित्य वाचस्पति का अवार्ड दिया गया। इंदिरा को 1953 में यूएसए में मदर्स अवार्ड भी दिया गया। डिप्लोमेसी के साथ बेहतर कार्य करने के लिए इसल्बेला डी’एस्टे अवार्ड ऑफ़ इटली। उन्हें येल यूनिवर्सिटी के होलैंड मेमोरियल प्राइज से भी सम्मानित गया।


इंदिरा गांधी की पुस्तकें

इंदिरा गाँधी के मुख्य प्रकाशनों में ‘द इयर्स ऑफ़ चैलेंज’ (1966-69), ‘द इयर्स ऑफ़ एंडेवर’ (1969-72), ‘इंडिया’ (लन्दन) 1975, ‘इंडे’ (लौस्सैन) 1979 एवं लेखों एवं भाषणों के विभिन्न संग्रह शामिल हैं।

इंदिरा गांधी हत्या

31 अक्टूबर 1984 को गांधी के बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बिंत सिंह ने सवर्ण मंदिर में हुए नरसंहार के बदले में कुल 31 बुलेट मारकर इंदिरा गांधी की हत्या कर दी. ये घटना

 
 
 

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