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भारतीय चुनावों के डाटा विश्लेषण कि उपयोगिता 

भारत में हर साल औसतन 20 करोड़ और हर पाँच वर्ष में लगभग १०० करोड़ नागरिक मतदान करते हैं। यह विश्वास विश्व के किसी भी धार्मिक या सामुदायिक भागीदारी से कई दर्जे अधिक है।

इतने विशाल जनादेश का विश्लेषण लोकतंत्र के प्रति हमारे विश्वास को स्थापित करता है। मतदान डॉट कॉम का उद्देश्य चुनावों का संख्यात्मक विश्लेषण कर अंतर निहित सामाजिक व राजनैतिक कारकों को सरल हिंदी भाषा में प्रसारित करना है।

यदि आप इस अनुसंधान में योगदान देना चाहते हैं, तो हमसे

भारतीय आम चुनाव (2024) की सूक्ष्म व्याख्या के लिए राजनीति के विद्यार्थियों से निवेदन...

2024 का चुनाव कई मायनों में खास रहा। दस साल बाद फिर से गठबंधन की सरकार बनी। एक साथी दल हिंदी पट्टी से आया और दूसरा दक्षिण भारत से। दोनों की सोच भाजपा से बहुत मिलती-जुलती नहीं है, फिर भी राजनीतिक गणित ने इन्हें एक साथ ला खड़ा किया। इस वजह से सरकार के सामने नए मौके भी हैं और नई मुश्किलें भी।

भाजपा ने “400 पार” का सपना देखा था, लेकिन जनता ने उसे 240 सीटों पर रोक दिया। यह नतीजा बताता है कि लोग संविधान और लोकतंत्र पर भरोसा रखते हैं।

भारत में हर दौर के अपने चुनावी मुद्दे रहे हैं। शुरू में बात होती थी "रोटी, कपड़ा और मकान" की। बाद में यह बदलकर "बिजली, पानी और सड़क" तक पहुँची। अब हाल के वर्षों में "शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार" लोगों की बड़ी ज़रूरतें बन चुकी हैं। यह सब अभी तक पूरी तरह हल नहीं हुए, लेकिन इन्हीं पर राजनीति घूमती रहती है।

चुनावी आंकड़े और बड़ी-बड़ी बातें आम लोगों तक अक्सर साफ़-साफ़ नहीं पहुँच पातीं। अगर आपको इन आंकड़ों को समझने, उनका मतलब निकालने और लोगों तक आसान भाषा में पहुँचाने का शौक है, तो आपसे जुड़ना हमारा सौभाग्य रहेगा।

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