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सुचेता कृपलानी भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री


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एक लेक्चरर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली सुचेता कृपलानी,

बाद में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं जो भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं। एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थीं।

सन 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गई और 15 अगस्त 1947 को संविधान सभा में वन्दे मातरम् भी गाया।भारत की संविधान समिति में जिन महिलाओं को शामिल किया गया था सुचेता कृपलानी भी उन्हीं में से एक थीं| भारत विभाजन के समय जो दंगे हुए थे उनमें सुचेता कृपलानी ने महात्मा गांधी के साथ मिलकर कार्य किया था|


स्वतंत्र भारत में सुचेता कृपलानी की भूमिका

सुचेता कृपलानी के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए फैक्टरी कर्मचारियों ने अपने मेहनताने में वृद्धि को लेकर हड़ताल कर दी थी,62 दिनों तक हड़ताल चली|


फैक्टरी कर्मचारियों ने अपने मेहनताने में वृद्धि को लेकर हड़ताल कर दी थी, सुचेता कृपलानी जब मुख्यमंत्री पद पर थी| हड़ताल 62 दिनों तक चली. सुचेता कृपलानी ने मजदूरों की मांग नहीं मानी. एक प्रशासनिक अधिकारी की भूमिका के साथ न्याय करते हुए उन्होंने मजदूरों को उसी वेतन में काम करने के लिए राजी कर लिया था.


उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने राज्य कर्मचारियों की हड़ताल को मजबूत इच्छाशक्ति के साथ वापस लेने पर मजबूर किया। वे पहले साम्यवाद से प्रभावित हुईं और फिर पूरी तरह गांधीवादी हो गईं। भारत छोड़ो आंदोलन में जब सारे पुरुष नेता जेल चले गए तो सुचेता कृपलानी ने अलग रास्ते पर चलने का फैसला किया।

‘बाकियों की तरह मैं भी जेल चली गई तो आंदोलन को आगे कौन बढ़ाएगा।’ वह भूमिगत हो गईं। उस दौरान उन्होंने कांग्रेस का महिला विभाग बनाया और पुलिस से छुपते-छुपाते दो साल तक आंदोलन भी चलाया। इसके लिए अंडरग्राउंड वालंटियर फोर्स बनाई। लड़कियों को ड्रिल, लाठी चलाना, प्राथमिक चिकित्सा और संकट में घिर जाने पर आत्मरक्षा के लिए हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी। राजनीतिक कैदियों के परिवार को राहत देने का जिम्मा भी उठाती रहीं। दंगों के समय महिलाओं को राहत पहुंचाने, चीन हमले के बाद भारत आए तिब्बती शरणार्थियों के पुनर्वास या फिर किसी से भी मिलने पर उसका दुख-दर्द पूछकर उसका हल तलाशने की कोशिश हमेशा रहती।[



राजनीतिक सफ़र

1939 में नौकरी छोड़कर राजनीति में आईं।

1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह किया और गिरफ्तार।

1941-1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महिला विभाग और विदेश विभाग की मंत्री।

1942 से 1944 तक निरंतर सफल भूमिगत आंदोलन चलाया फिर 1944 में गिरफ्तार किया गया।

1946 में केंद्रीय विधानसभा की सदस्य।

1946 में संविधान सभा की सदस्य और फिर इसकी प्रारूप समिति की सदस्य बनीं।

1948-1951 तक कांग्रेस कार्यकारिणी की सदस्य।

1948 में पहली बार विधानसभा के लिए चुनी गईं।

1949 में संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा अधिवेशन में भारतीय प्रतिनिधि मंडल की सदस्य के रूप में गईं।

1950 से लेकर 1952 तक प्रोविजनल लोकसभा की सदस्य रहीं।

1957 में नई दिल्ली विधानसभा का सदस्य बनाकर लघु उद्योग मंत्रालय प्रदान किया गया.

1962 में वह कानपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य चुनी गईं.

वर्ष 1963 में उत्तर-प्रदेश की मुख्यमंत्री बनाई गईं और इसके साथ ही उन्होंने देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने जैसा गौरव अपने नाम कर लिया.

1967 में गोंडा विधानसभा क्षेत्र से चौदहवीं लोकसभा का चुनाव जीता.

वर्ष 1971 में उन्हें राजनीति से संन्यास ले लिया था.

1967 में गोंडा से लोकसभा के लिए चुनी गईं।


उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी की जिंदगी के ये पहलू उन्हें ऐसी महिला की पहचान देते हैं, जिसमें अपनत्व और जुझारूपन कूट-कूट कर भरा था। एक शख्सियत कई रूप- आज इतने गुणों वाले राजनेता शायद ही मिलें।


सुचेता कृपलानी ने राजनीति से दूर एकांत में अपना अंतिम समय व्यतीत किया. वर्ष 1974 में उनका देहांत हो गया.

 
 
 

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