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सियासत की घमासान मे गिरते नैतिक स्तर। जीत के लिए कुछ भी करने पर उतारू भाजपा की जमीनी हकीकत

Updated: May 7, 2021

"योगी भले ही प्रख्यात नेता हों लेकिन चुनाव जीतने के लिए योगी पर भाजपा न 2017 में आश्रित रही है और ना ही 2022 में इसका जोखिम उठाएगी"
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"उत्तर प्रदेश राज्य के 45 ज़िलों में हुए क्षेत्रीय चुनाव के 3121 ज़िला पंचायत सदस्यों के चुनाव में मात्र 18 सदस्य निर्विरोध जीते हैं एवं 30103 सदस्यों ने चुनाव के नतीजों को चुनौती दी है। राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट में हारे हुए प्रत्याशियों को प्राप्त मतों की संख्या दर्ज नहीं कराई गयी है। वेबसाइट में अधिकतर जानकारी या तो प्रदान ही नहीं की गयी है या वेब पेज पढ़ने लायक़ नहीं है। पूरी व्यवस्था को देखकर समझ आ जाता है की जानकारी छिपाई जा रही है और किसी ना किसी कारस्तानी के बाद ही माहौल शांत होने के बाद ये जानकारी साइट में उपलब्ध होंगी।

हाल ही में हुए बंगाल चुनाव, उत्तर प्रदेश के स्थानी चुनाव से अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की तस्वीर थोड़ी ही सही लेकिन भाजपा के लिए चिंता का विषय पैदा करते हैं। निकाय चुनावों में भाजपा की धोखे बाज़ी जिस तरह से उधड़ कर जनता के सामने आयी है ऐसे में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास मोदी की छवि और राम मंदिर के सिवा कोई मुद्दा नहीं है। विदित हो कि योगी भले ही प्रख्यात नेता हों लेकिन चुनाव जीतने के लिए योगी पर भाजपा न 2017 में आश्रित रही है और ना ही 2022 में इसका जोखिम उठाएगी।


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स्थानिए चुनाव में हुए धोकेबाज़ी यूँ तो ६० से अधिक क़िस्सों पर भयंकर विवाद बना हुआ है लेकिन एक सीट पर ग्राउंड से प्रप्रत तथ्य से इसका अंदाज़ा बेहतर लगाया जा सकता है। जालौन ज़िले के सहाव ज़िला पंचायत सदस्य के चुनाव में प्रमाणित रूप से गड़बड़ी प्रतीत हो रही है। बसपा की ओर से प्रस्तावित ब्रजमोहन दीक्षित को प्राप्त कुल मत तीन बार मौखिक रूप से बताए गए पहले 9998 मतों से विजय घोषित किया गया, फिर 9091 मतों से दूसरे स्थान पर घोषित किया गया और फिर मौखिक रूप से 9346 मत प्राप्त होने की जानकारी दी गयी। इस सीट पर 9146 मतों से भाजपा समर्थित पुष्प्रेंद्र सिंह जीता हुआ घोषित किया जा चुका है। बक़ौल ब्रजमोहन दीक्षित, मतगड़ना के दौरान रात 2 बजे 9991 मतों से जीते हुए घोषित किए जाने के बाद उनका निकटम प्रतिद्वंदी पुष्पेंद्र सिंह अपनी हार स्वीकार करते हुए, अपने से उम्र में बड़े ब्रजमोहन के पैर छुए जीत की बधाई दी और मतगड़ना केंद्र से अपने साथियों के साथ रवाना हो गया। कुछ ही देर में रिटर्निंग ऑफ़िसर फिर से अंतिम परिणाम पढ़ते हैं उसमें ब्रजमोहन को 9143 वोट और पुष्पेंद्र सिंह हो 9153 वोट प्राप्त होने की खबर के साथ पुष्पेंद्र को विजाई घोषित कर देते हैं। बवाल मचने की स्थिति में एडीएम मध्यस्थता करते हुए ब्रजमोहन के समर्थकों को बरगलाकर ज़िला मतगड़ना केंद्र रवाना कर डेटा है और किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज नहीं देता है। बक़ौल बृजमोहन के चुनाव प्रबंधक और गोल्ड मेडल इंजीनियर सुपुत्र आदर्शमोहन दीक्षित, सभी प्रामाणिक दस्त्वजों के साथ ब्रजमोहन न्याय की अपील के लिए तैयार हैं। ब्रजमोहन पहली बार चुनाव लड़ रहे थे बसपा का वोट बैंक, ब्राह्मण वोट बैंक और एंटी-इनकम्बेंसी की वजह से उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही थी। बक़ौल बसपा प्रत्याशी इस बात को लेकर ठाकुर समाज के प्रत्याशी विधायक पुत्र पुष्पेंद्र सिंह जो कि भाजपा में हावी ठाकुर लॉबी मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट (योगी आदित्यनाथ), रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नरेंद्र सिंह तोमर के सीधे हक़स्तक्षेप से हुई ठगी से जीता है।

विदित हो कि मायावती का सोशल एंजिनीरिंग वाला गणित कई कारणों से ज़मीन बैठा पाने के लायक़ दिख रहा है। राज्य में भाजपा समर्थित ठाकुरों की मनमानी एवं ब्राह्मण वर्ग को हाशिए में पटकने की रंजिश की वजह से उत्तर प्रदेश में भाजपा की ज़मीनी पकड़ कमजोर हो रही है। ऐसे में सपा का दमदार प्रदर्शन, युवाओं में अखिलेश यादव की उभरती छवि, मुस्लिम यादव वोट बैंक पूरी तरह से संगठित होता दिख रहा है। यदि मायावती भाजपा के बजाए कोंग्रेस और सपा को निशाने में रखते हुए ब्राह्मण-दलित वोट बैंक की राजनीति करती हैं और अखिलेश यादव मुस्लिम-यादव-युवा वोट को सम्भालते हुए भाजपा से सीधे भिड़ जाएँ तो भाजपा की ज़मीन उखाड़ सकती है। इसपर अगर कोंग्रेस पदेश दिग्गज ठाकुर घरानों को पूरी ताक़त के साथ फ़्री हैंड देने में सफल रही तो सपा और बसपा का नुक़सान किए बिना वपिसी की उम्मीद कर सकती है।

 
 
 

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