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मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना जमीनी स्तर पर हो रही चुनावी जुमला साबित:

मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना को लेकर युवाओं के बीच अब गहरी निराशा देखने को मिल रही है। यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में बड़े दावों के साथ शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य था प्रदेश के युवाओं को कौशल विकास के माध्यम से रोजगार के बेहतर अवसर देना। लेकिन समय बीतने के साथ ही इस योजना की सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ रही है। युवाओं के लिए आशा और आत्मनिर्भरता की यह पहल अब जमीनी स्तर पर सिर्फ एक चुनावी वादा बनकर रह गई है, जिसका क्रियान्वयन आधा-अधूरा और लचर दिखाई देता है।

ऊर्जा विभाग के युवा आज भी भविष्य को लेकर असमंजस में

वर्ष 2023 में इस योजना के तहत ऊर्जा विभाग में चयनित किए गए सैकड़ों युवा आज भी अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। उन्हें न ही अब तक नियमित रोजगार दिया गया है और न ही प्रशिक्षण पूरा करने के सात महीने बाद भी उन्हें कोई प्रमाण पत्र मिला है। बिना प्रमाण पत्र के वे किसी अन्य जगह भी रोजगार पाने में असमर्थ हैं। यह स्थिति उनके लिए एक गंभीर संकट बन चुकी है क्योंकि सरकार द्वारा वादा किया गया भविष्य सुरक्षित रोजगार की ओर नहीं बढ़ पा रहा है।

इन युवाओं ने कई बार अपनी परेशानियों को संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव, तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे, लेकिन अभी तक किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। युवा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया है।

क्या सिर्फ चुनावी वादा बनकर रह गई योजना?

सरकार ने इस योजना को बड़े दावों के साथ लॉन्च किया था, जिसमें कहा गया था कि युवाओं को न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जाएगा बल्कि उन्हें सम्मानजनक रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि इस योजना में चयनित युवा आज भी रोजगार से वंचित हैं। यह एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या सरकार सच में प्रदेश के युवाओं को लेकर गंभीर है या फिर यह योजना केवल चुनावी माहौल में वोट बटोरने का एक साधन भर थी?

प्रदेश के युवा अब सरकार से स्पष्ट जवाब और ठोस समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। उनकी मांग है कि ऊर्जा विभाग में प्रशिक्षित युवाओं को उसी विभाग में रोजगार दिया जाए ताकि उनकी मेहनत और प्रशिक्षण व्यर्थ न जाए। यदि सरकार जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो यह योजना महज एक दिखावटी पहल बनकर रह जाएगी, जिससे प्रदेश के युवाओं का सरकार पर से भरोसा उठ सकता है।

युवाओं का कहना है कि वे सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि वास्तविक समाधान चाहते हैं। वे चाहते हैं कि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से ले और उन्हें रोजगार देकर उनके भविष्य को सुरक्षित बनाए। अन्यथा, आने वाले समय में यह मुद्दा और भी बड़ा रूप ले सकता है, क्योंकि हज़ारों युवा इस योजना से प्रभावित हैं और वे अपनी आवाज़ उठाने के लिए मजबूर हो सकते हैं।


अनुवादक - राहुल दुबे

उद्दरण-भोपाल। गोंडवाना समय

दिनांक - 28 मार्च 2025

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