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विधानसभा: आम नागरिक के सवाल ( उन्नतीसवीं कड़ी )

प्रस्तुत करते हैं एक सीरीज जिसमें मध्य प्रदेश विधान सभा के विभिन्न सत्रों में हुई चर्चाओं, प्रश्नों एवं उनके उत्तरों का आम नागरिक के सरोकार स्पष्ट होता है।


ये सवाल मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष द्वारा उठाए गए हैं। इस प्रश्नोत्तरी को आम नागरिक के लिए जानना जरूरी हैं। क्यों जरूरी हैं? क्योंकि ये सवाल हमारे द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों से पूछे गए हैं। सीधे शब्दों में कहें तो ये सवाल हमारे ही हैं! हमें यह जानना चाहिए कि जिन नेताओं को हमने चुना, क्या वे हमारी उम्मीदों पर खरे उतरे हैं या नहीं? आइए, मिलकर इन सवालों के जवाब तलाशें।



इस सीरीज कि उन्नतीसवीं कड़ी में श्री हेमंत सत्यदेव कटारे जी जो भिंड जिले की अटेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और मध्य प्रदेश सरकार के विपक्ष के उपनेता भी हैं, उनके द्वारा किए गए प्रश्नों को जानने का प्रयास करते हैं - नेता प्रतिपक्ष का प्रश्न  (क्र. 2562) श्री हेमंत सत्यदेव कटारे: क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मौजा मौ जिला भिण्ड के सर्वे नं. 3168/1, 3184/1, 3162 एवं 3147 की भूमि की नोईयत की जानकारी अभिलेख अनुसार संवत 2010 से वर्तमान तक उक्त भूमि शासकीय अथवा निजी थी? उपलब्ध करायी जाये। (ख) क्या तहसीलदार माँ के आदेश प्रकरण क्र. 00099/0-121/2024-25 में दिनांक 24.06.2024 दद्वारा मौजा मौ जिला भिण्ड के सर्वे नं. 3168/1, 3184/1, 3162 एवं 3147 की भूमि को शासकीय भूमि इन्द्राज किया गया था? (ग) क्या उक्त शासकीय भूमि इन्द्राज करने संबंध प्रकरण में निगरानी प्रस्तुत होने पर प्रकरण में बिना जांच कराये व एकपक्षीय कार्यवाही कर आनन-फानन में तहसीलदार मौ के आदेश को अपास्त किया गया था? यदि हाँ, तो किन परिस्थिति में बताएं। (घ) क्या प्रश्नांश (क) में उल्लेखित सर्वे क्र. की शासकीय भूमि को निजी भूमि दर्ज होने के तुरंत बाद भू-माफियाओं द्वारा भूमि पर भू-खण्ड विकसित कर विक्रय कर दी गई हैं? यदि हाँ, तो क्या इस संबंध में शिकायत शासन को प्राप्त हुई? यदि हाँ, तो कब-कब व उन पर क्या कार्यवाही की गयी?


इन प्रशन्नो पर उन्हे प्राप्त उत्तर इस प्रकार है: राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा): (क) मौजा मौ जिला भिण्ड के सर्वे नं. 3168/1,3184/1,3162 एवं 3147 की भूमि की संवत 2010 (वर्ष 1953) से 2014 एवं संवत 2015 से 2017 तक के उपलब्ध अभिलेख अनुसार भूमि की नोड्यत चरनोई थी। संवत् 2018 से 2019 एवं संवत 2020 से 2024 के उपलब्ध अभिलेख अनुसार सर्वे क्रमांक 3162 परशुराम पुत्र कुंदन जाति बढ़ई निवासी माँ के नाम प्रकरण कमांक 152/60X162 आज्ञा दिनांक 17.07.61 एवं सर्वे कमांक 3147,3168/1,3184/1 गुही पुत्र धर्मराय जाति कोरी निवासी माँ के नाम प्रकरण क्रमांक 152152/60X162 आज्ञा दिनांक 17.07.61 से अंकित है। संवत 2026 से 2030 में सर्वे क्रमांक 3147,3168/1,3184/1 बसंत कुमार, प्रकाशचंद्र,जगदीशचंद्र, राकेशचंद्र पुत्रगण गुलाबचंद्र जाति वैश्य निवासी लोहारपुरा के नाम व सर्वे क्रमांक 3162 परसुराम पुत्र कुदंन जाति बढ़ई निवासी माँ के नाम उपलब्ध अभिलेख अनुसार अंकित है। संवत 2031 से 2035 में सर्वे क्रमांक 3147,3168/1,3184/1 बसंत कुमार, प्रकाशचंद्र, जगदीशचंद्र, राकेशचंद्र पुत्रगण गुलाबचंद्र जाति वैश्य निवासी लोहारपुरा के नाम व सर्वे क्रमांक 3162 परसुराम पुत्र कुदंन जाति बढ़ई निवासी माँ के नाम उपलब्ध अभिलेख अनुसार अंकित है। संवत 2036 से 2040 में सर्वे क्रमांक 3147,3168/1,3184/1 बसंत कुमार, प्रकाशचंद्र, जगदीशचंद्र, राकेशचंद्र पुत्रगण गुलाबचंद्र जाति वैश्य निवासी लोहारपुरा के नाम व सर्वे क्रमांक 3162 परसुराम पुत्र कुदंन जाति बढ़ई निवासी मौ के नाम उपलब्ध अभिलेख अनुसार अंकित है। संवत 2041 से 2045 सर्वे क्रमांक 3147,3168/1,3184/1, पंजी क्रमांक 73/17/09/85 दिनांक 07.10.85 से बसंत कुमार आदि के स्थान पर प्रबोध कुमार पुत्र शांतिकुमार का नाम उपलब्ध अभिलेख अनुसार अंकित है तथा सर्वे क्रमांक 3162 परसुराम पुत्र कुदंन जाति बढ़ई निवासो मौ के नाम उपलब्ध अभिलेख अनुसार अंकित है। सर्वे क्रमांक 3162 विक्रय पत्र क्रमांक 956 दिनांक 19.06.91 से विक्रेता परसुराम पुत्र कुंदन के स्थान पर प्रबोध कुमार पुत्र शांति कुमार के नाम उपलब्ध अभिलेख अनुसार विक्रय किया गया है। इस प्रकार तहसीलदार माँ के प्रकरण क्रमांक 0009/बी-121/2024-25 में पारित आदेश के अमल दिनांक 24.06.2024 से पूर्व उक्त भूमि उपरोक्तानुसार भूमिस्वामियों के नाम दर्ज होकर निजी भूमि रही है। (ख) जी हाँ। तहसीलदार मौ द्वारा अपनी अधिकारिता से बाहर जाकर प्रकरण क्र. 0009/बी-121/2024-25 द्वारा मौजा मौ जिला भिण्ड के सर्वे नं. 3168/1, 3184/1, 3162 एवं 3147 को शासकीय दर्ज किया गया था। (ग) आवेदकगण तिलक सिंह आदि समस्त कृषक एवं निवासीगण मौ द्वारा इस आशय का आवेदन कलेक्टर न्यायालय में पेश किया गया कि मौजा मौ स्थित सर्वे क्रमांक 3168/1, 3184/1, 3162, 3147 पर प्रमोद कुमार ने अपने नाम से फर्जी इन्द्राज करा लिया है। प्रस्तुत आवेदन को न्यायालय में निगरानी मद में दर्ज करते हुये प्रकरण क्रमांक 0019/स्व. निगरानी/2024-25 पर संचालित किया गया। प्रकरण में प्रमोद जैन द्वारा उपस्थित होकर जबाव प्रस्तुत कर निवेदन किया गया कि उनके सर्वे नंबरों को अधीनस्थ न्यायालय द्वारा षडयंत्र कर शासकीय घोषित किया गया है। अधीनस्थ न्यायालय का अभिलेख प्रकरण क्रमांक 0009/बी-121/2024-25 तलब कर प्रकरण की जांच की गयी जिसमें यह पाया गया कि तहसीलदार मौ दद्वारा प्रकरण बी-121 में दर्ज किया गया है जबकि रिकार्ड सुधार हेतु प्रकरण अ-6 (अ) में दर्ज किया जाता है, प्रकरण को आर.सी.एम.एस. पोर्टल पर देखने पर प्रकरण 26.06.2024 को अगली सुनवाई हेतु नियत था, हल्का पटवारी द्वारा बयान दिया गया कि अधीनस्थ न्यायालय के पीठासीन अधिकारी ने दबाव डालकर रिकार्ड में अमल दिनांक 24.06.2024 को कराया है। अधीनस्थ न्यायालय के रीडर ने भी प्रकरण दिनांक 24.06.2024 को पीठासीन अधिकारी माला शर्मा द्वारा लौटाया जाना बताया गया, माला शर्मा दिनांक 24.06.2024 को वृत्त मौ के प्रभार में नहीं थी क्योंकि उनको कार्यालयीन आदेश क्रमांक/2ख/स्था./2024/5779, भिण्ड दिनांक 13.06.2024 से वृत्त देहगांव तहसील माँ में कार्य करने हेतु आदेशित किया गया था। ऐसी स्थिति में पटवारी पर जोर डालकर आई.डी. से अमल कराया गया है साथ ही अधीनस्थ न्यायालय ने वर्तमान धारकों ने जिस विक्रेता से भूमि क्रय की है बसंत कुमार उनको भी पक्षकार नहीं बनाया गया है। म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 यथा संशोधित 2018 की धारा 115 निम्नानुसार है-"115. भू-अभिलेख में गलत या अशुद्ध प्रविष्टि का शु‌द्धिकरण (1) उपखण्ड अधिकारी स्वप्रेरणा से या व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर, भू-अधिकार पुस्तिका तथा अधिकार अभिलेख को छोड़कर धारा 114 के अधीन तैयार किये गए भू-अभिलेखों में अप्राधिकृत प्रविष्टियों को सम्मिलित करते हुए गलत या अशुद्ध प्रविष्टि को, ऐसी जांच जैसी कि वह उचित समझे करने के पश्चात् शुद्ध कर सकेगा और ऐसी शुद्धियां उसके द्वारा अधिप्रमाणित की जाएंगी परन्तु कलेक्टर की लिखित मंजूरी के बिना पांच वर्ष की कालावधि के पूर्व की किसी प्रविष्टि को शुद्ध करने की कार्रवाई प्रारंभनहीं की जाएगी। (2) उपधारा (1) के अधीन कोई आदेश संबंधित तहसीलदार से लिखित रिपोर्ट प्राप्त किये और भी हितबद्ध पक्षकारों को सुनवाई का अवसर दिए, बिना पारित नहीं किया जाएगा : परन्तु यदि सरकार का हित निहित है तो उपखण्ड अधिकारी, मामला कलेक्टर को प्रस्तुत करेगा. (3) उपधारा (2) के अधीन मामला प्राप्त होने पर कलेक्टर ऐसी जांच जैसी कि वह ठीक समझे, करेगा और ऐसा आदेश पारित करेगा जैसा कि वह उचित समझे.". अतः उक्त प्रकरण कलेक्टर को प्रेषित किया जाना था। इस कारण अधीनस्थ न्यायालय का आदेश दिनांक 11.05.2024 स्थिर रखे जाने योग्य न होने से आदेश दिनांक 11.07.2024 से अपास्त किया जाकर श्रीमती माला शर्मा पर कूट रचना व धोखाधड़ी प्रमाणित होने से उनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने हेतु आदेश पारित किया गया। इस अनियमितता हेतु श्रीमती माला शर्मा, तहसीलदार को आयुक्त चंबल संभाग मुरैना द्वारा पत्र क्रमांक-स्था./6-2/2024/4957, मुरैना दिनांक 16.10.2024 से आरोप पत्र जारी किया जाकर अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ की गयी है। श्री प्रमोद कुमार व विक्रेता बसंत कुमार को उनके नाम प्रश्नाधीन भूमि कैसे आयी इस संबंध में नोटिस जारी कर जबाव लिया जाकर वर्तमान में प्रकरण क्रमांक 0019/निगरानी/2024-25 कलेक्टर न्यायालय में संचालित है। (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित सर्वे क्र. की शासकीय भूमि को निजी भूमि दर्ज होने के तुरंत बाद भू-माफियाओं द्वारा भूमि पर भू-खण्ड विकसित कर विक्रय नहीं की गई है। इस संबंध में इस कार्यालय में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।


जाहीर है कि सवाल एवं उसके जवाब पेंचीदा हैं। इनको आसान भाषा में समझना आवश्यक है।


सवाल : - श्री हेमंत सत्यदेव कटारे ने विधानसभा में राजस्व मंत्री से अनुरोध किया कि वे यह स्पष्ट करें कि भिण्ड जिले के मौजा मौ क्षेत्र की सर्वे नंबर 3168/1, 3184/1, 3162 और 3147 वाली भूमि का अभिलेखों के अनुसार संवत 2010 (वर्ष 1953 ई.) से लेकर वर्तमान समय तक क्या स्वामित्व रहा है—क्या यह भूमि शासकीय श्रेणी में दर्ज थी या निजी? उन्होंने यह भी जानना चाहा कि दिनांक 24 जून 2024 को तहसीलदार मौ द्वारा पारित आदेश (प्रकरण क्रमांक 00099/0-121/2024-25) के माध्यम से उपरोक्त भूमि को शासकीय भूमि के रूप में दर्ज किया गया था या नहीं।

इसके अतिरिक्त, श्री कटारे ने यह सवाल उठाया कि क्या उक्त शासकीय भूमि को दर्ज करने की कार्यवाही के दौरान जब उस पर निगरानी प्रस्तुत की गई, तब बिना किसी समुचित जांच के, एकतरफा कार्यवाही कर जल्दबाजी में तहसीलदार मौ के आदेश को निरस्त कर दिया गया? यदि ऐसा किया गया, तो इसके पीछे क्या कारण या परिस्थितियाँ थीं, उन्हें स्पष्ट किया जाए।

अंततः उन्होंने यह भी पूछा कि उपरोक्त सर्वे नंबरों की भूमि को शासकीय से निजी भूमि के रूप में दर्ज करने के बाद क्या भूमि माफियाओं द्वारा तत्काल भूखंड बनाकर विक्रय कर दिया गया? यदि हाँ, तो क्या इस तरह की गतिविधियों के संबंध में शासन को कोई शिकायतें प्राप्त हुई हैं, और यदि प्राप्त हुई हैं तो वे किस तारीख को हुईं और उनके आधार पर शासन द्वारा क्या कार्रवाई की गई है?

यह पूरा सवाल भूमि के स्वामित्व, प्रशासनिक निर्णयों की पारदर्शिता और भू-माफिया गतिविधियों पर नियंत्रण से संबंधित गंभीर चिंताओं को दर्शाता है।


जवाब :- राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा ने बताया कि भिण्ड जिले के मौजा मौ की सर्वे नंबर 3168/1, 3184/1, 3162 व 3147 की भूमि वर्ष 1953 से 1984 तक चरनोई रही, बाद में यह क्रमशः परशुराम, गुही, बसंत कुमार और फिर प्रबोध कुमार के नाम निजी भूमि के रूप में दर्ज होती रही। 1991 में विक्रय भी दर्ज हुआ था, जिससे स्पष्ट है कि 24 जून 2024 को तहसीलदार द्वारा भूमि को शासकीय घोषित करने का आदेश पूर्ववत दर्ज निजी स्वामित्व के विरुद्ध था।

यह आदेश तहसीलदार की अधिकारिता से बाहर जाकर, गलत प्रक्रिया में और बिना पक्षकारों को शामिल किए पारित किया गया। माला शर्मा नामक तहसीलदार ने जिस दिन आदेश पारित किया, वह उस दिन क्षेत्र की प्रभारी भी नहीं थीं। इसलिए उन पर कूट रचना और धोखाधड़ी के आरोप में कार्यवाही शुरू हुई है और अनुशासनात्मक व आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। मामला अभी कलेक्टर न्यायालय में विचाराधीन है।

साथ ही यह भी बताया गया कि इस भूमि पर भू-माफियाओं द्वारा प्लॉटिंग कर बेचने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।


मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष ने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए—सवाल जो आम जनता की समस्याओं और उनकी उम्मीदों से जुड़े हैं। लेकिन क्या इन सवालों के जो जवाब मिले, वे आपको संतुष्ट करते हैं? हमें अपने जवाब editor@matdaan.com में प्रेषित करें।


लेखक- राहुल दुबे (सहायक मतदान.कॉम )


संबंधित जानकारी हेतु - मध्य प्रदेश विधानसभा ,प्रश्नोत्तरी – सूची ,मार्च 2025 सत्र, सोमवार दिनांक 24 मार्च 2025 , तार्किक प्रश्न उत्तर ।   


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